तक्षक कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है? जाने पूरी जानकारी
कालसर्प दोष के प्रकारों में से तक्षक कालसर्प दोष सबसे प्रभावशाली और चुनौतीपूर्ण दोषों में आता है। यह तब बनता है जब जन्म कुंडली में राहु पाँचवें भाव में और केतु ग्यारहवें भाव में स्थित हो। इस दोष के कारण व्यक्ति की बुद्धि, संतान, शिक्षा, धन और सामाजिक जीवन पर गहरा असर पड़ता है। बहुत लोग जानना चाहते हैं कि तक्षक कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है, क्या यह पूरी जिंदगी चलता है, या इसका समय निश्चित होता है।
तक्षक कालसर्प दोष जीवन पर कई तरह से प्रभाव डाल सकता है, लेकिन यह हमेशा के लिए नहीं रहता। इसका असर 27 से 42 वर्ष तक सबसे ज्यादा दिखाई देता है, पर सही पूजा और उपाय करने से इसके प्रभाव को जल्दी शांत किया जा सकता है। उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा करवाना सबसे प्रभावी उपाय है, क्योंकि उज्जैन की ऊर्जा और विधि दोनों प्रभाव को तेजी से कम करने में मदद करते हैं।
तक्षक कालसर्प दोष लंबे समय तक क्यों बना रहता है?
यह दोष राहु-केतु की प्रकृति के कारण अधिक समय तक प्रभावी होता है। राहु– मानसिक अशांति, उलझन, भ्रम और अचानक घटनाओं का कारक है, जबकि केतु– मोक्ष, हानि और आध्यात्मिक संघर्ष से जुड़ा है। जब ये दोनों भाव पांचवा और ग्यारहवां एक-दूसरे से जुड़े हों, तो व्यक्ति के मन, संतान, धन और आय में लगातार उतार-चढ़ाव दिखाई देते हैं।
कई बार व्यक्ति का निर्णय गलत दिशा में चला जाता है, जिससे जीवन में संघर्ष बढ़ता है और दोष का प्रभाव उम्रभर बना रहता है। इसी कारण से इसे शांत करना आवश्यक माना जाता है।
तक्षक कालसर्प दोष क्यों है सबसे खतरनाक?
तक्षक कालसर्प दोष तब बनता है जब राहु पंचम भाव (विवाह, साझेदारी) में और केतु लग्न (ग्यारवे) में होता है, और बाकी सारे ग्रह इनके बीच फंस जाते हैं। यह दोष इसलिए सबसे खतरनाक है क्योंकि ये सीधे आपकी दैनिक दिनचर्या और जीवन तथा रिश्तों को प्रभावित करता है। वैवाहिक जीवन में धोखा, पार्टनरशिप में विश्वासघात, खुद के प्रति आत्मविश्वास की कमी – ये इसके शुरुआती लक्षण हैं।
तक्षक कालसर्प दोष की आयु कितनी होती है? ये कब तक प्रभावी रहता है?
तक्षक कालसर्प दोष तीन चरणों में काम करता है। पहला चरण 28 से 33 वर्ष की उम्र तक – यहाँ ये धीरे-धीरे जहर फैलाता है, रिश्ते टूटने शुरूु होते हैं, करियर में रुकावटें आती हैं।
दूसरा चरण 33 से 47 वर्ष तक – यह सबसे खतरनाक पीरियड है, जब वैवाहिक जीवन पूरी तरह खराब हो सकता है, बिजनेस पार्टनर धोखा दे सकता है, और मानसिक तनाव चरम पर पहुंच जाता है।
तीसरा चरण 47 वर्ष के बाद – यहाँ दो तरह की स्थिति बनती है। अगर आपने कोई उपाय नहीं किया तो ये जीवन भर परेशान करता रहता है, लेकिन अगर आपने उज्जैन में पूजा कर ली तो 47-50 वर्ष की उम्र तक इसका 80% प्रभाव स्वतः खत्म हो जाता है।
क्या तक्षक कालसर्प दोष जन्म भर रहता है?
तक्षक कालसर्प दोष का पूरा प्रभाव सिर्फ 47 से 50 वर्ष तक ही रहता है। उसके बाद राहु-केतु की दशा बदलने से और शनि की साढ़ेसाती आने से इसका प्रभाव अपने आप कम पड़ने लगता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि 50 के बाद सब कुछ अपने आप ठीक हो जाएगा – अगर आपने कोई उपाय नहीं किया तो यह हल्के रूप में जीवन भर परेशान करता रहेगा। लेकिन सही समय पर सही पूजा कर लें तो 40-42 साल की उम्र में ही इसका 90% प्रभाव खत्म हो सकता है।
तक्षक दोष कब सबसे ज्यादा सक्रिय होता है?
तक्षक कालसर्प दोष राहु और केतु की महादशा या अंतर्दशा में सबसे ज्यादा सक्रिय होता है। खासकर जब राहु की महादशा 30-35 साल की उम्र में शुरू होती है, तब यह अपने पूरे रंग में आता है। दूसरा खतरनाक समय शनि की साढ़ेसाती का मध्य चरण होता है। अगर आपके लग्न में केतु और सप्तम में राहु है तो 33 से 42 साल की उम्र तक आपको सबसे ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। इस दौरान शादी टूटने, बिजनेस में बड़ा धोखा, या पार्टनर की सेहत का अचानक बिगड़ना – ये आम बातें हैं।
तक्षक कालसर्प दोष के प्रभाव कौन-कौन से है?
तक्षक कालसर्प दोष का असर व्यक्ति के जीवन पर अलग-अलग रूप में प्रकट होता है। सबसे सामान्य प्रभाव इस प्रकार हैं:
- बुद्धि और निर्णय क्षमता पर असर पड़ता है। व्यक्ति कई बार गलत फैसले लेता है या बिना सोचे-समझे कदम उठा लेता है।
- शिक्षा और करियर में रुकावटें आती हैं। मेहनत ज्यादा और परिणाम कम दिखाई देते हैं।
- संतान सुख में देरी या संतान से जुड़ी चिंताएं बढ़ सकती हैं।
- धन आने के बावजूद बचता नहीं है या सही दिशा में नहीं लगता।
- व्यक्ति के रिश्तों में गलतफहमियां बढ़ती हैं और सामाजिक जीवन प्रभावित होता है।
तक्षक कालसर्प दोष के निवारण उपाय कौन-कौन से है?
यह दोष समय के साथ कमजोर होता है, लेकिन उसकी प्रक्रिया धीमी होती है। इसलिए शास्त्रों में बताया गया है कि राहु-केतु शांतिपाठ और कालसर्प दोष निवारण पूजा से इसका प्रभाव जल्दी कम किया जा सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र जप: नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप मन को स्थिर करता है और राहु-केतु के प्रभाव को कम करता है।
राहु-केतु के बीज मंत्र: विशेषज्ञ पंडित से मार्गदर्शन लेकर इन मंत्रों का जाप किया जा सकता है।
नाग देवता की पूजा: सोमवार और नाग पंचमी को नाग पूजा करना अशुभ प्रभाव को कम करता है।
रुद्राभिषेक: भगवान शिव की कृपा राहु-केतु दोषों को शांत करती है।
तक्षक कालसर्प दोष से मुक्ति का सबसे प्रभावशाली उपाय क्या है?
उज्जैन के राम घाट पर की गई पूर्ण विधिवत तक्षक कालसर्प शांति पूजा इस दोष का प्रभाव शीघ्रता से कम कर देती है। अगर आप 33-35 साल की उम्र में यह पूजा कर लें तो 40 साल की उम्र तक आप इसे लगभग पूरी तरह भूल जाएंगे। रोजाना 108 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप और मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में लाल चोला अवश्य चढ़ाएँ।
उज्जैन में की गई पूजा सबसे प्रभावी मानी जाती है। यहां वैदिक विधि से संपूर्ण पूजा की जाती है। उज्जैन मे पूजा करवाना सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यहां की ऊर्जा और विधि दोनों प्रभाव को तेजी से कम करने में मदद करते हैं।
उज्जैन में तक्षक कालसर्प दोष निवारण पूजा क्यों अधिक प्रभावी मानी जाती है?
उज्जैन पवित्र ज्योतिर्लिंग क्षेत्र है, जिसे भगवान शिव और महाकाल की नगरी कहा जाता है। यहां की गई कालसर्प दोष पूजा अन्य स्थानों की तुलना में अधिक फलदायी होती है।
पंडितगण शास्त्रीय विधियों का पालन करते हुए संपूर्ण प्रक्रिया संपन्न कराते हैं। पूजा में—
- संकल्प
- कालसर्प योग शांति पाठ
- नाग देवता पूजा
- महामृत्युंजय जप
- हवन
इन सभी चरणों का विशेष महत्व होता है।
यहां की गई पूजा दोष के प्रभाव को काफी हद तक कम कर देती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करती है।
उज्जैन में तक्षक कालसर्प दोष पूजा की बुकिंग कैसे करें?
आज ही अपनी कुंडली उज्जैन के अनुभवी पंडित कांता शर्मा जी से चेक कराएँ यदि तक्षक दोष है तो देर मत कीजिए, क्योंकि जितनी जल्दी उपाय करेंगे, उतनी जल्दी यह जहर अमृत में बदलेगा। आज ही अपनी पूजा की बुकिंग करें और इस दोष से छुटकारा पाएँ।