उज्जैन मे कालसर्प दोष पूजा बुक कराये

कालसर्प दोष पूजा न केवल दोष निवारण है, बल्कि एक आध्यात्मिक साहसिक यात्रा है जो जीवन को नई दिशा देती है। यदि आप कालसर्प दोष से प्रभावित हैं, तो आज ही उज्जैन के अनुभवी पंडित जी से संपर्क करें, शुभ मुहूर्त चुनें और अपनी पूजा सम्पन्न कराएं। अगर आपके जीवन मे नीचे दी गयी परेशानिया आ रही है तो एक बार पंडित जी से ज्योतिषीय परामर्श जरूर ले।

काल सर्प दोष क्या है?

कालसर्प दोष तब बनता है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु (सर्प का मुख) और केतु (सर्प की पूंछ) के बीच आ जाते हैं। यह दोष 12 प्रकार का होता है, जैसे अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, आदि, प्रत्येक का अपना अलग ही प्रभाव होता है। उदाहरण के लिए, अनंत कालसर्प दोष वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है, जबकि कुलिक दोष स्वास्थ्य समस्याएँ ला सकता है। जीवन पर इसका प्रभाव गहरा होता है – यह व्यक्ति को अनावश्यक संघर्ष, मानसिक तनाव और आर्थिक हानि दे सकता है। लेकिन एक नई दृष्टि से देखें तो यह दोष व्यक्ति को मजबूत बनाता है, जैसे सर्प की तरह फुर्तीला और सतर्क। उज्जैन में पूजा इस दोष को न केवल नष्ट करती है, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाती है, जो जीवन की यात्रा को और रोमांचक बनाती है।

Kaal Sarp Dosh Puja Ujjain

कालसर्प दोष के लक्षण कौन-कौन से है?

कालसर्प दोष के निम्नलिखित लक्षण है- 

  • परिश्रम करने के पश्चात भी बार बार असफलता प्राप्त होना।
  • परिवार मे कलह और झगड़े का माहौल बने रहना।
  • व्यापार मे सदैव हानि होना। 
  • रिश्तेदारों से मधुर संबंध न रहना।
  • संतान नही होती है, अगर होती भी है तो वह सदैव बीमार रहती है।
  • घर मे मांगलिक और शुभ कार्य का न हो पाना। 
  • अपने किसी मृत परिजन को स्वप्न मे देखना।
  • संपत्ति और धन की हानि लगातार होते रहना।
  • कम आत्मविश्वास।
  • साँप का या साँप द्वारा काटे जाने का भय सदैव बने रहना।
  • अकेलेपन की भावना का बड़ना।
  • मानसिक शांति न होना।
  • महत्वपूर्ण कार्यो का न हो पाना। 

कुंडली मे कालसर्प दोष योग कैसे बनता है?

जब सूर्यमंडल के सातो गृह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति तथा शनि राहू एवं केतू के बीच मे आ जाते है। ऐसा लगता है, जैसे राहू और केतू ने सभी ग्रहो को अपने बीच मे समाहित कर लिया हो। 

ज्योतिष शास्त्रो के अनुसार राहू एवं केतू को सर्प माना गया है। जिसमे राहू को सर्प का मुख वाला भाग तथा केतू को पूछ वाला भाग माना जाता है। जब सभी ग्रह इन दोनों बिन्दुओ के बीच मे आ जाते है, ऐसी दशा को ही काल सर्प दोष योग कहा जाता है। 

राहू और केतू अलग अलग घर या भाव मे स्थित हो सकते है। इस प्रकार राहू और केतू  के अलग घर या भाव मे स्थित होने पर काल सर्प दोष का प्रभाव बदल जाता है, और काल सर्प दोष से पड़ने वाला प्रभाव भी बदल जाता है। 

ग्रहो की स्थिति के अनुसार काल सर्प दोष के 12 प्रकार के होते है। 

कालसर्प दोष दूर करने के उपाय कौन-कौन से है?

कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए आप निम्नलिखित उपायो को अपना सकते है-

    • महामृत्युंजय मंत्र का जाप दिन में दो बार 11 बार करें।

    • ॐ नागकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात‘ का जाप करें।

    • ज्योतिषी के परामर्श से राहु और केतु की पूजा करें।

    • सर्प मंत्र और सर्प गायत्री मंत्र का जाप करें।

    • प्रत्येक श्रावण मास में शिवलिंग का जलाभिषेक करें।

    • 11 सोमवार का व्रत रखें।

कालसर्प दोष के प्रकार कितने होते है?

अनंत काल सर्प दोष

अनंत कालसर्प दोष–  जब राहू लग्न मे तथा केतू सप्तम भाव मे स्थित हो, और बाकी के ग्रह सप्तम, अष्टम, नवम, दशम, एकादश तथा द्वादश भाव मे स्थित हो तो अनंत काल सर्प दोष व्यक्ति की जन्मकुंडली मे होता है। जब ग्रहो की ऐसी स्थिति बनती तो व्यक्ति को अपमान, चिंता और पानी का भय बना रहता है। 

कुलीक काल सर्प दोष

कुलीक कालसर्प दोष – जब व्यक्ति की जन्मकुंडली मे राहू द्वितीय तथा केतू अष्टम भाव मे स्थित हो, तो और अन्य सभी ग्रह इन दोनों राहू एवं केतू के बीच मे आ जाते है तब व्यक्ति कुलीक काल सर्प दोष से पीड़ित माना जाता है। ग्रहो के ऐसे योग के कारण धन संबंधी हानि, दुर्घटना एवं परिवार मे लड़ाई का सामना व्यक्ति को करना पड़ता है।  

वासुकि काल सर्प दोष

वासुकि कालसर्प दोष– राहू तृतीय भाव मे स्थित हो तथा केतू नवम भाव  मे स्थित हो, तो जो योग बनता है उसे वासुकि काल सर्प दोष कहा जाता है। ग्रहो के प्रभाव के कारण व्यक्ति सदैव किसी बीमारी से पीड़ित या अपने ही किसी रिश्तेदार के कारण हानि का सामना करता है। 

शंखपाल काल सर्प दोष

शंखपाल कालसर्प दोष– जब राहू चतुर्थ भाव मे तथा केतू दशम भाव मे स्थित हो, तो जातक की जन्मकुंडली मे शंखपाल काल सर्प दोष परिलक्षित होता है। इस दोष के करना जातक पिता के स्नेह और प्यार से वंचित रह जाता है। उसे नौकरी मे भी समस्या का सामना करना पड़ता है। 

पद्म काल सर्प दोष

पद्म कालसर्प दोष– कुंडली मे पंचम भाव मे राहू तथा ग्यारहवे स्थान पर केतू हो, तो पद्म काल सर्प दोष योग बनता है। इस दोष से पीड़ित जातक उच्च शिक्षा, पत्नी की बीमारी और दोस्तो से होने वाली हानि का सामना करता है।

महापद्म काल सर्प दोष

महापद्म कालसर्प दोष– कुंडली मे राहू छठे भाव मे तथा केतू बारहवे भाव मे स्थित हो, और अन्य सभी ग्रह राहू और केतू के बीच मे हो तब महापद्म काल सर्प दोष बनता है। इस दोष के कारण जातक को पीठ के निचले हिस्से मे दर्द, सरदर्द तथा त्वचा संबंधी बीमारिया होती है।

तक्षक काल सर्प दोष

तक्षक कालसर्प दोष– जब जातक की कुंडली मे राहू सप्तम मे तथा केतू प्रथम भाव मे स्थित हो, तो ग्रहो के ऐसे संयोजन से बने योग को तक्षक काल सर्प दोष के नाम से जाना जाता है। तक्षक काल सर्प दोष से पीड़ित जातक को व्यवसाय संबंधी हानि, वैवाहिक जीवन मे कलह, दुर्घटना तथा चिंता और असंतोष का सामना करना पड़ता है। 

कक्रोटक काल सर्प दोष

कर्कोटक कालसर्प दोष–  जब कुंडली मे राहू अष्टम स्थिति तथा केतू द्वितीय स्थिति मे हो, तो कर्कोटक काल सर्प दोष बनता है। इस दोष से पीड़ित जातक के पास धन सम्पत्ति को संभाल कर नहीं रख पाते, इन्हे जहरीले प्राणियों से नुकसान का खतरा बना रहता है। 

शंखचूड़ काल सर्प दोष

शंखचूड़ काल सर्प दोष– जब व्यक्ति की जन्मकुंडली मे राहू नवम तथा केतू तृतीय भाव मे स्थित हो, और बाकी सभी ग्रह इन दोनों राहू और केतू के बीच मे हो तब शंखचूड़ कालसर्प दोष बनता है। इस दोष के कारण जातक धार्मिक विरोधी गतिविधियो, उच्च रक्तचाप तथा निरंतर चिंता का सामना करता है।

घातक काल सर्प दोष

घातक कालसर्प दोष–  जब राहू दशम घर मे तथा केतू चतुर्थ घर मे स्थित हो, तब कुंडली मे घातक कालसर्प दोष योग बनता है। इस दोष के प्रभाव के कारण जातक को कानूनी मुकदमे संबंधी समस्या और विवाद का सामना करना पड़ता है। 

विषधर काल सर्प दोष

विषधर कालसर्प दोष–  जब राहू ग्यारहवे भाव मे तथा केतू पंचम भाव मे स्थित हो, और शेष ग्रह इन दोनों के बीच ने समाहित हो, तो जातक विषधर कालसर्प दोष से पीड़ित माना जाता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के जीवन मे अस्थिरता बनी रहती है। 

शेषनाग काल सर्प दोष

शेषनाग कालसर्प दोष– जब जन्मकुंडली मे राहू द्वादश तथा केतू छठे भाव मे स्थित हो, तब व्यक्ति शेषनाग कालसर्प दोष से पीड़ित माना जाता है। इस दोष के पीड़ित जातक को अपने ही किसी खास दोस्त या रिश्तेदार से शत्रुता तथा संघर्ष का सामना करना पड़ता है। 

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा का क्या महत्व है? जाने पूजा की विधि

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा एक सामान्य पूजा नहीं, बल्कि एक प्राभवी उपाय है। कालसर्प दोष पूजा करने से राहु और केतु के अशुभ प्रभावों का निवारण होता है। उज्जैन में यह पूजा वैदिक विधियों से की जाती है, जिससे इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में कालसर्प दोष है और आप जीवन में बार-बार बाधाओं, असफलताओं, मानसिक तनाव, विवाह में विलंब, आर्थिक समस्याओं या पारिवारिक अशांति का सामना कर रहे हैं, तो उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा आपके लिए सबसे उत्तम उपाय हो सकता है।

यह यात्रा सुबह क्षिप्रा नदी में स्नान से शुरू होती है, जो आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है। फिर संकल्प लिया जाता है, जहां व्यक्ति दोष निवारण का संकल्प करता है। गणेश पूजा से बाधाएं दूर होती हैं, नवग्रह पूजा से ग्रहों की शांति होती है। राहु-केतु पूजा में विशेष मंत्र जाप (“ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” और “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः”) और हवन से दोष शांत होता है। महामृत्युंजय जाप (“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…”) स्वास्थ्य और दीर्घायु देता है। अंत में, चाँदी का नाग-नागिन जोड़ा क्षिप्रा नदी में विसर्जित किया जाता है, जो दोष के विसर्जन का प्रतीक है। दान और दक्षिणा से पूजा पूर्ण होती है। इस यात्रा में हर कदम व्यक्ति को मजबूत बनाता है, जैसे एक साहसिक अभियान में चुनौतियों को पार करना। पूजा की अवधि 1-2 घंटे होती है, लेकिन इसका प्रभाव जीवन भर रहता है।

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा में कितना खर्च आता है?

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा में सामान्यतः ₹2,000 से ₹5,000 तक का खर्च आ सकता है। यह राशि पूजा की जटिलता, पंडितों की संख्या, पूजा के स्थान और विशेष जाप पर निर्भर करती है। यह एक अनुमानित पूजा-खर्च है पूजा के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए आज ही उज्जैन के अनुभवी पंडित कांता शर्मा जी से नीचे दिये नंबर पर सम्पर्क करें। 

कालसर्प दोष पूजा के लाभ क्या है?

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते है जो की नीचे दिये गए है:

  • विवाह में आ रही बाधाओं से मुक्ति

  • नौकरी और व्यवसाय में सफलता

  • दांपत्य जीवन में सामंजस्य और सुख

  • आर्थिक स्थिरता और प्रगति

  • मानसिक शांति और आत्मविश्वास की प्राप्ति

  • नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से मुक्ति। 

महत्वपूर्ण सूचना

  • काल सर्प दोष निवारण पूजा 3 घंटे मे सम्पूर्ण हो जाती है।
  • पूजा करने वाले व्यक्ति को रामघाट मे स्नान करना होता है।
  • काल सर्प दोष निवारण पूजा वाले दिन उपवास रखना चाहिए।
  • पूजा के दिन काले एवं हरे रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
  • पूजा के बाद कपड़े उज्जैन मे ही छोडने होते है।

पंडित जी के पास वर्षभर कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए लोग आते है, और अपनी समस्याओ और बाधाओ से छुटकारा पाते है। अगर आप भी अपनी किसी समस्या के समाधान के लिए पूजा करवाना चाहते है, तो नीचे दी गई बटन पर क्लिक करके पंडित जी से बात कर सकते है

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यह पूजा कालसर्प दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और जीवन में शांति, सफलता और स्थिरता लाने के लिए की जाती है। इस पूजा के द्वारा राहु-केतु के अशुभ प्रभावों को शांत किया जाता है। 

उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है और यहाँ की गई पूजा का प्रभाव कई गुना अधिक माना जाता है। भगवान महाकाल की कृपा से दोषों का निवारण जल्दी और प्रभावी रूप से होता है।

कालसर्प दोष पूजा शिवरात्रि, अमावस्या और नाग पंचमी के दिनों में विशेष फलदायी मानी जाती है। हालांकि, उज्जैन में यह पूजा पूरे साल की जा सकती है। पंडित जी पूजा कुंडली के अनुसार शुभ मुहूर्त निकालते है। 

  • महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर

  • सिद्धवट क्षेत्र

  • रामघाट

  • हरसिद्धि मंदिर

पूजा से इस दोष का नकारात्मक प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है, लेकिन कुंडली में इसका योग समाप्त नहीं होता।