अर्क कुम्भ विवाह उज्जैन

उज्जैन मे अर्क विवाह व कुम्भ विवाह कराने के लिए अभी पंडित श्री काँता शर्मा जी से संपर्क करे और उज्जैन के श्री मंगलनाथ महादेव मंदिर मे मंगल दोष निवारण पूजा, अर्क विवाह व कुम्भ विवाह पूजा सम्पन्न कराये। 

कम खर्च मे वैदिक विधि द्वारा पूजा कराये और कुंडली के दोषो से मुक्ति पाये, पंडित जी से संपर्क करने के लिए नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करे और निशुल्क परामर्श ले।

अर्क विवाह क्या है?

जिस किसी पुरुष के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो या अन्य किसी दोष को दूर करने के लिए उस पुरुष के विवाह के पूर्व सूर्य पुत्री जिन्हे अर्क वृक्ष के रूप मे पूजा जाता है के साथ विवाह किया जाता है, जिससे उस पुरुष के विवाह मे आ रहे समस्त प्रकार के दोषो से मुक्ति मिल जाती है। पुरुष का विवाह से पूर्व किए गए इस प्रकार के विवाह को अर्क विवाह पूजा के नाम से जाना जाता है। 

Ark Kumbh Puja

घट विवाह क्या होता है?

किसी कन्या के विवाह मे आ रही समस्याओ या किसी दोष को दूर करने के लिए उस कन्या के विवाह से पूर्व घट (कुम्भ) जिसमे भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित की जाती है के साथ विवाह किया जाता है, जिससे कन्या के विवाह मे आ रही सभी बधाओ और दोषो से मुक्ति मिल जाती है। कुम्भ विवाह होने के पश्चात भगवान विष्णु की मूर्ति को जलाशय मे विसर्चित कर कन्या का विवाह इच्छुक वर के साथ कर दिया जाता है। कन्या के विवाह से पूर्व किए गए विवाह को घट विवाह या कुम्भ विवाह पूजा के नाम से जाना जाता है। 

अर्क विवाह के फायदे कौन-कौन से है?

अर्क विवाह के द्वारा किसी पुरुषो के विवाह मे आ रही समस्त प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। अर्क विवाह पुरुषो मे मांगलिक दोष को समाप्त करने के लिए भी की जाती है। 

कुम्भ विवाह के फायदे क्या है?

स्त्रियो की कुंडली मे जो वैधव्य दोष रहता है, कुम्भ विवाह के कारण इस दोष का प्रभाव पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है। उज्जैन मे कुम्भ विवाह पूजा स्त्रियो मे मांगलिक दोष को समाप्त करने के लिए भी की जाती है।  

अर्क विवाह किन पुरुष और कन्या का होना चाहिए?

किसी भी पुरुष और कन्या की कुंडली मे मंगल दोष हो प्रथम द्वितीय चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव मे से किसी एक भाव मे मंगल स्थित हो इस प्रकार का योग विवाह मे विलंब, बाधा, विवाह के पश्चात कलह एवं वैवाहिक सुख मे कमी वाला योग होता है। कन्या या पुरुष की कुंडली मे सप्तम या द्वादश भाव मे पाशविक गृह से पीड़ित हो या शुक्र, सूर्य, सप्तमेश और द्वादशेष शनि गृह से वशीभूत हो। ऐसे कन्या या पुरुष के माता पिता या स्नेही जनको को कन्या का विवाह से पूर्व कुम्भ विवाह तथा पुरुष का अर्क विवाह करवाना चाहिए।

उज्जैन में अर्क और कुम्भ विवाह पूजा में कितना खर्च आता है?

उज्जैन में इस पूजा की लागत पूजा के प्रकार और स्थान पर निर्भर करती है:

  • सामूहिक पूजा: 2,500-4,500 रुपये। 

  • व्यक्तिगत पूजा: 5,000 या इससे अधिक रुपये में । विशेष ध्यान और मंत्र जाप।

  • महा पूजा: 7,000 या इससे अधिक रुपये में। रुद्राभिषेक सहित।

अर्क कुम्भ विवाह क्यो आवश्यक है?

  • किसी भी पुरुष और कन्या की कुंडली मे मंगल दोष हो।
  • किसी की कुंडली मे तलाक या दो विवाह हो।
  • किसी कन्या या पुरुष की कुंडली मे दोहरा मांगलिक दोष हो तो अर्क कुम्भ विवाह करना चाहिए। 
  • किसी कन्या की कुंडली मे वैधव्य दोष हो तो कुम्भ विवाह आवश्यक हो जाता है। 
  • किसी पुरुष ने दो शादिया की हो और उसकी दोनों पत्नीया मर चुकी हो, तो संबन्धित व्यक्ति अगर दोबारा अगर शादी के लिए तैयार हो तो उस व्यक्ति का अर्क विवाह करना आवश्यक होता है। 

उज्जैन मे अर्क कुभ विवाह के लिए संपर्क करे

पंडित जी के पास वर्षभर अर्क कुम्भ विवाह पूजा के लिए लोग आते है, और अपनी समस्याओ और बाधाओ से छुटकारा पाते है। अगर आप भी अपनी किसी समस्या के समाधान के लिए पूजा करवाना चाहते है, तो नीचे दी गई बटन पर क्लिक करके पंडित जी से बात कर सकते है।  

अर्क कुंभ पूजा – FAQs

जब कुंडली में ग्रहों की स्थिति के कारण विवाह में देरी या दाम्पत्य जीवन में समस्या आती है, तब अर्क कुंभ पूजा का आयोजन किया जाता है। यह पूजा विवाह योग को मजबूत करती है और जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।

उज्जैन भगवान महाकाल की नगरी है। यहाँ की गई पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। खासकर अर्क कुंभ पूजा के लिए उज्जैन को शुभ स्थान माना गया है क्योंकि यहाँ शास्त्र के अनुसार अनुभवी पंडितों द्वारा विधिपूर्वक पूजा कराई जाती है।

यह पूजा खासतौर से उन व्यक्तियों के लिए की जाती है:- जिनकी कुंडली में मंगल दोष है, विवाह में बार-बार रुकावटें आ रही हों, दाम्पत्य जीवन में असंतोष या कलह हो, जिन पर पितृ दोष या अन्य ग्रहदोष का असर हो।

अर्क कुंभ पूजा किसी भी शुभ मुहूर्त में की जा सकती है, लेकिन सावन माह, शिवरात्रि और अन्य खास ज्योतिषीय संयोगों में यह पूजा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है।

आम तौर पर यह पूजा 2 से 3 घंटे में पूरी हो जाती है, लेकिन यदि विस्तृत अनुष्ठान कराया जाए तो इसमें 5से 6 घंटे तक का समय लग सकता है।