कालसर्प दोष कितने प्रकार के होते है? कालसर्प दोष के प्रकार
किसी भी जातक की कुंडली मे कालसर्प दोष राहू और केतू की स्थिति के अनुसार बनता है। कुंडली मे राहू और केतू की स्थिति के अनुसार ही यह पता लगाया जा सकता है, की कुंडली मे कौनसा कालसर्प दोष है। इस लेख मे हम जानेंगे की कालसर्प दोष कितने प्रकार के होते है? कुंडली मे ग्रहो की दशा या स्थिति क्या होती है, जब यह दोष बनते है?
कालसर्प दोष के प्रकार
कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार के होते हैं, इनमे से आप किस दोष से ग्रस्त है, यह केवल जन्म कुंडली की जांच से ही निर्धारित किया जा सकता हैं। कुंडली की जांच करवाए बिना यह पता लगाना मुश्किल है, की आप की कुंडली मे किस प्रकार का कालसर्प दोष है।
- अनंत कालसर्प दोष:- जब किसी जातक की जन्म कुंडली मे सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते है, या जब जातक की कुंडली मे राहू लग्न मे हो तथा केतु सप्तम घर मे स्थित हो, और बचे हुए सारे ग्रह राहु और केतु के बीच मे हो तो कुंडली मे अनंत कालसर्प दोष होता है, इस ज्योतिषीय दशा को ही विपरीत कालसर्प दोष कहा जाता है।
- कुलीक काल सर्प दोष:- जब व्यक्ति की जन्मकुंडली मे राहू द्वितीय तथा केतू अष्टम भाव मे स्थित हो, तो और अन्य सभी ग्रह इन दोनों राहू एवं केतू के बीच मे आ जाते है तब व्यक्ति कुलीक काल सर्प दोष से पीड़ित माना जाता है। ग्रहो के ऐसे योग के कारण धन संबंधी हानि, दुर्घटना एवं परिवार मे लड़ाई का सामना व्यक्ति को करना पड़ता है।
- .शंखचूड काल सर्प दोष:- जब जातक की कुंडली मे राहू नवें घर मे व केतू तीसरे घर मे उपस्थित हो और बाकी के सारे ग्रह इनके बीच मे होते है, तब जातक की कुंडली मे शंखचूड़ कालसर्प दोष योग बनता है। और इसी के साथ-साथ जातक की कुंडली मे पितृ दोष बनने के संयोग भी बने रहते है।
- शेषनाग कालसर्प दोष:- शेषनाग कालसर्प दोष जातक के साधारण जीवन को कठिनाइयो से भर देता है, यह योग तब प्रदर्शित होता है, जब किसी जातक की जन्म कुंडली मे राहु की दशा बारहवे घर मे हो, तथा केतु की दशा छठे घर मे हो, और बचे हुए सारे ग्रह राहु और केतु के बीच मे फंसे हुए हो।
- घातक कालसर्प दोष:- जब जातक की कुंडली मे राहु दशम घर मे हो, और केतु चौथे स्थान मे स्थित हो, तथा बचे हुए सारे ग्रह राहु और केतु के बीच मे फंसे हुए हो, तो जातक की कुंडली मे घातक कालसर्प दोष होने का योग बनता है।
- विषधर कालसर्प दोष:- जब जातक की कुंडली मे राहू ग्यारहवे घर मे और केतू पांचवे घर मे उपस्थित हो और बाकी सारे ग्रह इनकी छाया मे हो तब जातक की कुंडली मे विषधर कालसर्प दोष योग बनता है। विषधर का अर्थ है, विष यह मुख्य रूप से जहरीले साँप के लिए उपयोग किया जाता है। अगर इस दोष के जातक समय से इस दोष का निवारण न करे तो उन्हे चारो दिशाओ से असफलता ही प्राप्त होती है
- कर्कोटक कालसर्प दोष:- जब जातक की कुंडली मे राहू अष्टम घर मे और केतू दूसरे स्थान पर उपस्थित हो और बाकी के सारे ग्रह इनके बीच मे हो जब ग्रहो का ऐसा योग बनता है, तब कर्कोटक कालसर्प दोष जातक की कुंडली मे बनता है।
- शंखपाल कालसर्प दोष:- जब राहू चतुर्थ भाव मे तथा केतू दशम भाव मे स्थित हो, तो जातक की जन्मकुंडली मे शंखपाल काल सर्प दोष परिलक्षित होता है। इस दोष के कारण जातक पिता के स्नेह और प्यार से वंचित रह जाता है। उसे नौकरी मे भी समस्या का सामना करना पड़ता है।
- महापद्म कालसर्प दोष:- महापद्म कालसर्प दोष का किसी भी जातक की कुंडली मे होना बहुत ही बुरा माना जाता है, जब राहु छटे भाव मे और केतु बारहवे भाव मे विराजमान होता है, तथा अन्य सभी ग्रह राहु और केतु के बीच मे स्थित हों, तब जातक की कुंडली मे महापद्म कालसर्प दोष योग बनता हो जाता है।
- तक्षक कालसर्प दोष:– जब जातक की कुंडली मे राहू सप्तम घर मे व केतू लग्न मे उपस्थित हो, और बाकी के सारे ग्रह इनके बीच मे हो तब जातक की कुंडली मे तक्षक कालसर्प दोष योग बनता है। इस दोष के जातक को इस दोष की जाँच किसी ज्योतिष विद्या मे पारंगत पंडित जी से ही करवानी चाहिए, क्योकि सप्तम और लग्न के ग्रह सबसे महत्वपूर्ण माने जाते है, इन घरों की महत्ता ज्योतिष शास्त्र में किसी से छिपी नहीं है।
- पद्म कालसर्प दोष:- जब जातक की कुंडली में राहु और केतु के बीच सारे ग्रह एक ही रेखा में आ जाते है, और जातक की कुंडली मे राहू पंचम घर और केतू ग्यारहवे स्थान मे उपस्थित हो, बाकी सारे ग्रह इनके बीच मे स्थित होते है, तब पद्म कालसर्प दोष योग जातक की कुंडली मे बनता है।
- वासुकि काल सर्प दोष:- जब जातक की कुंडली मे राहू तीसरे घर मे विराजमान हो और केतू नवे घर मे उपस्थित और बाकी सारे ग्रह इनके बीच मे हो।
कालसर्प दोष निवारण के उपाय
कालसर्प दोष निवारण के लिए सबसे पहले जातक को अपनी जन्म कुंडली यानी जन्म पत्रिका पहले किसी सुयोग्य ज्योतिषीय विद्वान को दिखाना चाहिए ताकि वह ज्योतिषी यह मालूम कर सके कि जातक की कुंडली मे कालसर्प दोष है भी या नहीं। या कालसर्प दोष के साथ और अन्य कोई दोष तो नहीं है। और उसे किस तरह की पूजा करवानी चाहिए इसका भली – भाँति पता लग सके।
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पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है, एवं सभी प्रकार के दोष एवं बाधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा समय हो गया है।
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